संतान सप्तमी वर्त कथा और उसकी विधि पुस्तक । Pdf file download

 



संतान सप्तमी हिंदू धर्म में मां दुर्गा के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवती दुर्गा की पूजा की जाती है और संतान की कामना की जाती है। यह त्योहार अनुसार भगवती दुर्गा ने अपने सात पुत्रों को जन्म दिया था, इसलिए इसे संतान सप्तमी कहा जाता है।

इस त्योहार के दिन लोग समस्त नहाने और शुद्ध होते हैं और फिर मां दुर्गा की मूर्ति को सजाकर पूजते हैं। उन्हें सुविधाजनक वस्त्र और फल-फूल देकर भगवती दुर्गा की आराधना की जाती है। संतान सप्तमी के दिन बालकों को भी विशेष तौर पर आराधना किया जाता है जिनके अभिभावक अधिक उत्साह से उन्हें सुंदर वस्त्र, खिलौने और मिठाई देते हैं।

संतान सप्तमी व्रत को मां दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद के लिए रखा जाता है। इस व्रत को ध्यान और श्रद्धा के साथ नियमित रूप से किया जाना चाहिए। यह व्रत नवरात्र के अंतिम दिन संतान सप्तमी के दिन मनाया जाता है।

संतान सप्तमी व्रत की विधि निम्नलिखित हैं:

संतान सप्तमी के दिन कुछ विशेष विधियां भी होती हैं। यहां कुछ विधियों का उल्लेख किया गया है:

संतान सप्तमी की पूजा सूर्योदय के समय की जानी चाहिए।

मां दुर्गा के सामने धूप जलाना चाहिए।

    1. संतान सप्तमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।

    2. भगवती दुर्गा की मूर्ति को सजाकर पूजें। पूजा में दुर्गा सप्तशती के चंडी पाठ करें।

    3. संतान सप्तमी के दिन नैवेद्य में पूर्णिमा व्रत की तरह घी, दूध, चावल और मिष्ठान जैसी वस्तुएं नहीं रखनी चाहिए। इसके स्थान पर फल, पुष्प और शाकाहारी आहार की वस्तुएं रखनी चाहिए।

    4. व्रत के दौरान सफेद वस्त्र का धारण करना चाहिए।

    5. व्रत के दौरान आपको संतान से संबंधित समस्याओं से दूर रहना चाहिए और आपको सकारात्मक मन से संतान सप्तमी व्रत को मानना चाहिए।










संतान सप्तमी व्रत की विधि निम्नलिखित हैं:

संतान सप्तमी के दिन कुछ विशेष विधियां भी होती हैं। यहां कुछ विधियों का उल्लेख किया गया है:

संतान सप्तमी की पूजा सूर्योदय के समय की जानी चाहिए।

मां दुर्गा के सामने धूप जलाना चाहिए।

    1. संतान सप्तमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।

    2. भगवती दुर्गा की मूर्ति को सजाकर पूजें। पूजा में दुर्गा सप्तशती के चंडी पाठ करें।

    3. संतान सप्तमी के दिन नैवेद्य में पूर्णिमा व्रत की तरह घी, दूध, चावल और मिष्ठान जैसी वस्तुएं नहीं रखनी चाहिए। इसके स्थान पर फल, पुष्प और शाकाहारी आहार की वस्तुएं रखनी चाहिए।

    4. व्रत के दौरान सफेद वस्त्र का धारण करना चाहिए।

    5. व्रत के दौरान आपको संतान से संबंधित समस्याओं से दूर रहना चाहिए और आपको सकारात्मक मन से संतान सप्तमी व्रत को मानना चाहिए।

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